पहलगाम आतंकी हमला: बाइसारन घास के मैदानों में 26 लोगों की मौत, देश भर में आक्रोश

Last Updated: April 23, 2025 10:31:55 PM

23 अप्रैल 2025, श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल 2025) को हुए एक भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पहलगाम के ऊपरी इलाकों में स्थित बाइसारन घास के मैदानों में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई, जिसमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। इस हमले ने एक बार फिर कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


हमले का भयावह मंजर: एक तस्वीर जो बयां करती है कहानी

हमले से ठीक पहले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें एक जोड़ा बाइसारन घास के मैदान में आराम करते नजर आ रहा है। यह तस्वीर

@drsudhanshubjp ने साझा की, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया, “कब तक हम हिंदू होने की सजा भुगतते रहेंगे???” तस्वीर में दिख रहा यह शांतिपूर्ण पल कुछ ही क्षणों बाद आतंक की चीखों में बदल गया।
The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों ने घने जंगलों से निकलकर इस हमले को अंजाम दिया। इस हमले में मारे गए लोगों में भारत के विभिन्न राज्यों के पर्यटक, दो विदेशी नागरिक और एक भारतीय वायुसेना का जवान भी शामिल है।


आतंक का चेहरा: द रेसिस्टेंट फ्रंट ने ली जिम्मेदारी

हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंट फ्रंट (TRF) ने ली है। India Today के मुताबिक, TRF का गठन 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद किया गया था, ताकि कश्मीर की उग्रवादिता को स्वदेशी रंग दिया जा सके। इस हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद है, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर है।
TRF ने इससे पहले भी कई हमलों को अंजाम दिया है, जिसमें अक्टूबर 2024 में गंदेरबल में एक सुरंग निर्माण स्थल पर हमला शामिल है, जिसमें एक डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूर मारे गए थे।


सुरक्षा में चूक पर सवाल: गृह मंत्रालय से जवाब की मांग

हमले के बाद सोशल मीडिया और विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय पर जमकर निशाना साधा है। X यूजर

@Mohamma46005324 ने सवाल उठाया, “जहां दो हजार पर्यटक थे, वहां सुरक्षाकर्मियों को क्यों नहीं तैनात किया गया? गृह मंत्रालय को जवाब देना चाहिए।”
वहीं,

@PrinceShamkule ने कहा, “देश का गृहमंत्री मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढते रहे और कश्मीर में देशवासी मरते रहे। टोटल इंटेलिजेंस फेलियर है।” कई लोगों ने गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से इस्तीफे की मांग की है।


धर्म के नाम पर राजनीति: एक सवाल जो गूंज रहा है

हमले में मारे गए लोगों में सईद हुसैन शाह भी शामिल हैं, जिसके बाद

@mdiquebalali ने सवाल उठाया, “अगर आतंकवादी धर्म पूछकर हिंदुओं को मार रहे थे, तो सईद हुसैन शाह को क्यों मार दिया? ‘आपदा में अवसर’ वालों की राजनीति का शिकार मत बनें।”
कई X यूजर्स ने इस हमले को हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जोड़ने की कोशिशों की आलोचना की।

@lalitlalitya ने लिखा, “आतंकी का धर्म नहीं, राजनीतिक विचारधारा होती है।” इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार पर लाशों के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाया।


प्रदर्शन और निंदा: श्रीनगर में रैली, देश भर में शोक

हमले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को श्रीनगर में एक विरोध रैली निकाली। पार्टी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। भारतीय वायुसेना ने भी अपने एक जवान की मौत पर शोक जताया।
महाराष्ट्र के जलगांव की नेहा उर्फ किशोरी वाघुलड़े, जो ऑल इंडिया रेडियो में कैजुअल अनाउंसर हैं, इस हमले में बाल-बाल बचीं। उन्होंने कहा, “मैं प्राकृतिक सुंदरता को निहार रही थी, तभी गोलियों की आवाज सुनाई दी। मुझे लगता है, मैंने पिछले जन्म में कुछ अच्छा किया होगा, जो बच गई।”


इतिहास की पुनरावृत्ति: कश्मीर में आतंक का पुराना इतिहास

विकिपीडिया के अनुसार, कश्मीर में आतंकवाद का इतिहास लंबा रहा है। 1998 में प्राणकोट नरसंहार में 26 हिंदू ग्रामीण मारे गए थे, वहीं 2000 में अमरनाथ यात्रा के दौरान 30 हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या कर दी गई थी। यह हमला भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जून 2024 में अमरनाथ यात्रा से पहले भी तीन आतंकी हमले हुए थे, जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने का दावा किया गया था।


आगे क्या? सुरक्षा और जवाबदेही की मांग

इस हमले ने एक बार फिर कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता और विपक्ष सरकार से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास पर भी ध्यान देना होगा।
क्या यह हमला कश्मीर के पर्यटन उद्योग को प्रभावित करेगा? क्या सरकार इस संकट से उबर पाएगी? ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं।

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